रामपुर की सांस्कृतिक धरोहरों में रामलीला का महत्वपूर्ण स्थान
रामपुर : धार्मिक आस्था बल्कि सामुदायिक एकता का प्रतीक भी है. रामलीला की यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है और इसे जीवित रखने में रामपुर के नवाबों का विशेष योगदान रहा है.
खासकर, नवाब रजा अली खान के शासनकाल के दौरान, 1947 के बाद रामलीला के आयोजन को एक नई पहचान मिली.
रामलीला के लिए भूमि और नया मंच
नवाब रजा अली खान ने रामलीला के मंचन के लिए 80 बीघा भूमि कोसी मंदिर मार्ग पर प्रदान की, जिसे आज ‘रामलीला मैदान’ के नाम से जाना जाता है.
इससे पहले रामलीला का आयोजन पनबरिया के नुमाइश मैदान में होता था, जो शहर से दूर था और दर्शकों के लिए असुविधाजनक था.
नवाब के इस योगदान से रामलीला को एक स्थायी और सुलभ स्थान मिला, जहां लोग आसानी से पहुंच सकते थे और इस सांस्कृतिक धरोहर का आनंद ले सकते थे.