ईयर फोन का लम्बे समय तक उपयोग हो सकता है घातक

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ईयर फोन का लम्बे समय तक उपयोग हो सकता है घातक

Wednesday, May 28, 2025 | May 28, 2025 Last Updated 2025-05-28T10:12:01Z
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ईयर फोन का लम्बे समय तक उपयोग हो सकता है घातक
बदायूँ: 28 मई। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 रामेश्वर मिश्रा ने जनसमुदाय को ईयर फोन व ईयर प्लग के लम्बे समय तक उपयोग के कारण सुनने की क्षमता में कमी (श्रवण हास) और टिनिटस को रोकने में जागरुक व सहायता किये जाने के सम्बंध में जानकारी देते हुए बताया कि सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, व्हाटसऐप, यू-ट्यूब आदि का उपयोग कम करें। प्रतिदिन 02 घण्टे से ज्यादा ईयर फोन व हेड फोन का लम्बे समय तक उपयोग न किया जाये।

उन्होंने बताया कि श्रवण-हानि तथा पूर्ण श्रवणहीनता का मुख्य कारक होने दृष्टिगत वायर्ड अथवा ब्लूटूथ इयरप्लग व हैडफोन के अनावश्यक उपयोग को हतोस्साहित किया जाये। आवश्यकता पडने पर 50 डेसिबल वॉल्यूम सहित ईयर फोन व हेडफोन जैसे व्यक्तिगत ऑडियो के उपकरणों का उपयोग किया जाना चाहिए। प्रतिदिन 02 घण्टे से ज्यादा ईयर फोन व हेड फोन का लम्बे समय तक उपयोग न किया जाये, साथ ही बीच-बीच में अंतराल लिया जाना चाहिए।

उन्होेने बताया कि बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग से दूर रखें ताकि वे तेज आवाजों के सम्पर्क में न आयें, जिनका इस्तेमाल अक्सर गेम डिजाइन में किया जाता है। बच्चों को मोबाईल एवं लेपटॉप आदि उपकरणों के प्रयोग में कमी लायें, 

इसके अत्याधिक प्रयोग से संज्ञानात्मक विकास अवरूद्ध होने के कारण सामाजिक सम्पर्क, संचार आदि प्रभावित होने के साथ-साथ अन्य व्यवहारिक समस्याएँ भी उत्पन्न होती हैं।
उन्होेने बताया कि सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, व्हाटसऐप, यू-ट्यूब आदि का उपयोग कम करें। परिवार और सामाजिक मेलजोल पर ध्यान केंद्रित करते हुए 

एक साथ समय बिताने का समय बढ़ाएँ। किसी प्रकार के समारोह में ध्वनि की तीव्रता 100 डेसिबल से अधिक नहीं होनी चाहिए। समय-समय पर श्रवण (सुनना) की जांच कराते रहना चाहिए ताकि सुनने में कोई हानि हो, तो उसका उपचार/प्रबन्धन समय से किया जा सकें।

उन्होेने बताया कि यदि किसी भी व्यक्ति में एक बार श्रवण ह्रास हो जाता है, तो पुनः सामान्य श्रवण शक्ति को वापस नहीं लाया जा सकता और इसके साथ-साथ अन्य प्रकार के मनोवैज्ञानिक समस्याएं भी उत्पन्न होने लगती है, जोकि पीड़ादायक हो सकती है।

उन्होेने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन उत्तर प्रदेश के तत्वाधान में राष्ट्रीय बधिरता बचाव एवं रोकथाम कार्यक्रम का संचालन जिला चिकित्सालय (पुरूष) बदायूँ में किया जा रहा है, चिकित्सालय की ओपीडी कक्ष सं0-14 में श्रवण (सुनना) को समस्या एवं कान से सम्बन्धित रोगों का परामर्श एवं उपचार सम्बंधी सेवाएं वरिष्ठ ईएनटी सर्जन एवं प्रशिक्षित स्टाफ के द्वारा निःशुल्क प्रदान की जा रही हैं।
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