माता सावित्री बाई फूले ने सामाजिक कुरीतियों व अन्याय के खिलाफ किया कड़ा संघर्ष : राजकुमार सिद्धार्थ

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माता सावित्री बाई फूले ने सामाजिक कुरीतियों व अन्याय के खिलाफ किया कड़ा संघर्ष : राजकुमार सिद्धार्थ

Wednesday, January 3, 2024 | January 03, 2024 Last Updated 2024-01-04T04:00:06Z
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सम्भल बहजोई

माता सावित्री बाई फूले ने सामाजिक कुरीतियों व अन्याय के खिलाफ किया कड़ा संघर्ष : राजकुमार सिद्धार्थ ।

 3 जनवरी 2024, दिन बुधवार को तहसील गुन्नौर जनपद संभल के कस्बा गवां में क्षेत्र के सैकड़ो अम्बेडकर एवं तथागत बुद्ध के अनुयायियों ने अम्बेडकर पार्क गवां में प्रातः 11 बजे से माता सावित्रीबाई फुले जी का 194वां जन्मोत्सव समारोह बडे ही हर्षोल्लास के साथ मनाया । 

त्रिशरण और पंचशील ग्रहण कर जन्मोत्सव समारोह प्रारंभ किया गया ।कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रद्धेय वावूसिंह यादव ब मुख्य अतिथि श्रद्धेय श्यौराजसिंह तथा संचालन राजकुमार सिद्धार्थ ने किया ।


कार्यक्रम का संचालन कर रहे श्रद्धेय राजकुमार सिद्धार्थ ने बताया कि माता सावित्रीबाई फुले की आज 194 वीं जयंती है। इन्होंने अपना पूरा जीवन महिलाओं के अधिकारों के लिए समर्पित कर दिया था सावित्रीबाई फुले ने पुणे में देश का पहला कन्या विद्यालय खोला था। 

महिला सशक्तिकरण के लिए काम करने के दौरान उन्हें कड़े संघर्षों को झेलना पड़ा। महिला अधिकारों की आवाज उठाने के दौरान उन पर कीचड़ फेंका जाता था।


 उन्होंने कन्या शिशु हत्या को रोकने के लिए भी काम किया। अभियान चलाए और नवजात कन्या शिशु के लिए आश्रम तक खोला, ताकि उन्हें बचाया जा सके। फुले की जयंती पर आज हम आपको उनके जीवन से जुड़ीं कुछ दिलचस्प बातें बताने जा रहे हैं।

सावित्रीबाई फुले के पति महात्मा ज्योतिबा फुले को महाराष्ट्र और भारत में समाज सुधार आंदोलन के सबसे महत्वपूर्ण अगुआकार के रूप में जाना जाता है। ज्योतिबा ने पूरे जीवन महिलाओं और पिछड़ी जातियों को शिक्षित करने और उन्हें आगे बढ़ाने में बिताया। ज्योतिराव,


 जो बाद में ज्योतिबा के नाम से जाने गए। वे सावित्रीबाई के संरक्षक, गुरु और मार्गदर्शक थे। सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जिया, उन्होंने पूरा जीवन समाज सेवा में बिता दिया। माता सावित्रीबाई फुले महान समाज सुधारक और शिक्षाविद थी।


 उन्होेंने सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जमकर आवाज उठाई। सावित्रीबाई फुले का जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले के एक छोटे से गांव नयागांव में 3 जनवरी 1831 को हुआ था ।आज का दिन उनके संघर्ष और महान कार्यों को यादकर उन्हें श्रद्धांजली देने का दिन है।


इस अवसर पर श्रद्धेय राजकुमार सिद्धार्थ, श्रद्धेय वेदप्रकाशगौतम, श्रद्धेय सरदारअमरजीत, श्रद्धेय गिरेन्दर कुमार, धर्मवीर सिंह, विजयपालसिंह,दीपचन्द गौतम , विपिन कुमार , मनवीर गौतम,


 शशिकांता बौद्ध, यादराम जाटव, प्रेमपाल बौद्ध, भोले सिंह बौद्ध, किशन स्वरूप बौद्ध, ओमपाल सिंह, सुनील कुमार यादव, पुरुषोत्तमपाल,तुलाराम बौद्ध, राहुल गौतम, चन्द्रपालसिंह,सोपाली सहित सैकड़ो लोग उपस्थित रहे।
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