पर्युषण पर्व के नौवें दिन उत्तम आकिंचन्य दिवस मनाया गया।

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पर्युषण पर्व के नौवें दिन उत्तम आकिंचन्य दिवस मनाया गया।

Monday, September 16, 2024 | September 16, 2024 Last Updated 2024-09-16T14:29:10Z
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पर्युषण पर्व के नौवें दिन उत्तम आकिंचन्य दिवस मनाया गया।
बहजोई: पर्युषण पर्व के नौवें दिन धर्म के दसलक्षण उत्तम आकिंचन्य दिवस की पूजा कर जीवन में आकिंचन्य व्रत धारण करने की बात कही गयी।

नगर के मोहल्ला गोलागंज स्थित श्री दिगंबर जैन मंदिर में श्री दिगंबर जैन सभा  के तत्वाधान में पर्युषण पर्व के अवसर पर धर्म के दसलक्षण उत्तम आकिंचन्य धर्म का दिवस मनाया गया व उत्तम आकिंचन्य की पूजा की गई एवं नित्य नियम की पूजाएं भी की गई।

इस अवसर पर पंडित चंद्रकुमार जैन शास्त्री ने प्रवचन करते हुए बताया कि
आकिचन्य धर्म आत्मा की उस दशा का नाम है जहां पर बाहरी सब छूट जाता है किंतु आंतरिक संकल्प विकल्पों की परिणति को भी विश्राम मिल जाता है।

 बाहरी परित्याग के बाद भी मन में ‘मैं’ और ‘मेरे पन’ का भाव निरंतर चलता रहता है, जिससे आत्मा बोझिल होती है और मुक्ति की ऊर्ध्वगामी यात्रा नहीं कर पाती।


इस मौके पर शांति धारा के पुण्यार्जक अर्पित जैन,अक्षत जैन, ममता जैन, मीतेश जैन,राहुल जैन को बनाया गया। विनीत जैन द्वारा धार्मिक मुद्रा प्रतियोगिता का भव्य आयोजन कराया गया।

 इस अवसर पर जैन समाज के सभी लोग बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। संचालन सम्भव जैन ने किया।
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