जमीन न मिलने से धरातल पर नहीं उतरे 12 से अधिक उद्योग
रामपुर। फरवरी में लखनऊ में इन्वेस्टर्स समिट के तहत हुए भूमिपूजन के आठ महीने बाद भी जिले में 12 से अधिक औद्योगिक इकाइयों के प्रस्ताव जमीन पर नहीं उतर पाए हैं। इसकी प्रमुख वजह जमीन न मिल पाना है।
बड़े उद्योगों के लिए जितनी जमीन चाहिए, प्रशासन उतनी जमीन उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है। दरअसल उद्यमी सस्ते रेट पर सरकारी जमीन चाहते हैं, जबकि विभाग नियमों का हवाला देकर सरकारी जमीन के बजाए
निजी भूमि की व्यवस्था करने की बात कर रहा है। इसके फेर में कई प्रस्ताव जमीन पर नहीं उतर पाए हैं। हालांकि 92 में 48 इकाईयां रामपुर में चालू हो चुकीं हैं।
प्रदेश सरकार उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है। इसी के चलते सरकार ने 2023 की शुरुआत में ही प्रदेश के हर जिले में इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया गया था।
जिले में उद्योग लगाने के लिए 738 से ज्यादा निवेशकों ने करीब 9000 करोड़ के एमओयू साइन किए थे। इनमें से कुछ इकाइयां स्थापित भी हुईं। वहीं इसी साल 19 फरवरी को जिले में 4137 करोड़ की 92 इकाइयों की स्थापना के लिए भूमि पूजन हुआ था।
इसके बाद करीब 50 इकाइयां स्थापित की गईं, जिसमें 48 में उत्पादन भी शुरू हो गया, लेकिन एक होटल, आवासीय काॅलोनी, सौ करोड़ के डेयरी डेवलपमेंट प्लांट समेत कई कई इकाइयों को प्रशासन जमीन उपलब्ध नहीं करा पा रहा है। हालांकि, प्रशासन की ओर से जमीन की तलाश के लिए सभी एसडीएम को पत्र लिखा गया था,
लेकिन अभी तक जमीन नहीं मिल सकी है। इसकी प्रमुख वजह यह है कि ज्यादातर उद्यमी सरकारी जमीन चाहते हैं,लेकिन उद्योग विभाग नियमों का हवाला देते हुए सरकारी जमीन के बजाए निजी जमीन खरीदकर ही प्लांट लगवाने की बात कर रहा है।
हालांकि अभी कई उद्यमियों को प्रशासन से जमीन मिलने का इंतजार है।
ये इकाइयां हुईं स्थापित
बिलासपुर के टेमरा में जीएसएल की धागा फैक्टरी, फूड प्रोसेसिंग यूनिट, मैक्स राइड टायर ट्यूब केमरी, अडाणी ग्रेन स्टोरेज धमोरा, स्वाति कैंफर, शाहबाद रोड पर एपीमेडा फार्मा,
केमरी व टांडा में राइस मिल और मेंथा प्लांट में काम शुरू हो चुका है। इन इकाइयों के शुरू होने से तमाम लोगों को रोजगार भी मिला है।
कुछ समय पहले जमीन का मुद्दा उठा था,जिस पर प्रशासन ने उद्यमियों से प्रस्ताव मांगे थे। कुछ लोगों को निजी जमीन आवंटित की गई थी। अभी फिलहाल ऐसा कोई मुद्दा नहीं है। यदि कोई समस्या है तो उसका समाधान कराया जा रहा है। - श्रीष गुप्ता,
चेयरमैन आईआईए रामपुर चैप्टर
कुछ उद्यमी सरकारी जमीन चाहते है,लेकिन सरकारी जमीन सिर्फ सार्वजनिक उपक्रम वाली इकाइयों को ही मिल पाती है। कुछ उद्यमी चाहते हैं कि सरकारी जमीन मिल जाए। - मनीष पाठक, उपायुक्त उद्योग
92 में से 48 इकाइयां हो चुकी हैं चालू
उद्यमी मित्र सलमान मलिक का कहना है कि 92 इकाइयों में से अब तक 48 इकाइयों में उत्पादन शुरू हो चुकाहैा। जल्द ही कई और नए प्रोजेक्ट जमीन पर उतर जाएंगे। इसके लिए कार्य कराया जा रहा है।