बदायूं। जिले में झोलाछापों के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। हाल ही में आसफपुर, दातागंज व बिनावर क्षेत्र में हुई मौतें इसका ताजा उदाहरण है। डीएम से शिकायत के बाद भी झोलाछापों पर कार्रवाई न होने से अब स्वास्थ्य विभाग की नीयत पर ही सवाल उठ रहे हैं।
जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते स्वास्थ्य विभाग भ्रष्टाचार की गर्त में दबता जा रहा है। जिले में छह सौ से अधिक झोलाछाप हैं जो शहर से लेकर देहात तक गली-कूंचों में बैठे हुए हैं।
खुद स्वास्थ्य विभाग के सर्वे में यह बात पता चली थी कि जिले में करीब छह सौ झोलाछाप हैं। इन झोलाछापों के यहां गलत इलाज से मौत की कई घटनाएं हो चुकी हैं, लेकिन विभाग आंखें बंद कर लेता है। हाल यह है
कि अभी तक एक भी झोलाछाप के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई नहीं की है। महज दिखावे के लिए कागजों में छापेमारी कर शासन को रिपोर्ट भेज दी जाती है। जनप्रतिनिधि भी स्वास्थ्य विभाग की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। यही वजह है कि लोग इन झोलाछाप के यहां जाकर गलत इलाज के कारण मौत का शिकार हो रहे हैं।
बाइक सवार छात्र की सड़क हादसे में, मौत।
झोलाछाप की दुकान में नवजात की मौत, कार्रवाई शून्य
बिसौली कोतवाली क्षेत्र के गांव फिरोजपुर निवासी रावेंद्र की 24 वर्षीय गर्भवती पत्नी मीना की 29 अक्तूबर को झोलाछाप के इलाज से मौत हो गई। विभाग ने कार्रवाई तो दूर जांच तक करना उचित नहीं समझा।
केस- 2
झोलाछाप के इलाज से नवजात की गई जान
- कस्बा बिनावर में झोलाछाप के इलाज से 17 अक्तूबर को नवजात की मौत हो गई। मौत के बाद परिजनों ने हंगामा भी किया लेकिन विभाग ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। केवल नोटिस चस्पा कर अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री कर ली।
अगर कोई शिकायत मिलती है तो तत्काल नोडल को जांच कर कार्रवाई के निर्देश दिए जाते हैं। जांच के आधार पर ही कार्रवाई होती है। एमओआईसी को निर्देश दिए गए हैं कि अगर क्षेत्र में झोलाछाप हो तो उन पर कार्रवाई करें।