बिसौली रामलीला मैदान में राधारानी प्रेम सेवा समिति के तत्वावधान में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में वृंदावन के रसिक इंद्रेश महाराज ने अमृत वर्षा करते हुए भगवान के प्रेम के बारे में विस्तार से बताया।
उन्होंने कहा कि भगवान को पाना है तो विदुरानी जैसा प्रेम करो। भगवान ने प्रेम के वश में होकर दुर्योधन की मेवा को त्यागकर विदुरानी के घर जाकर केले के छिलकों का भोग लगाया। उन्होंने भक्त चोखा मेला की भक्ति के बारे में बताया
कि उनके माता-पिता आम लेकर भगवान पंडरी नाथ के यहां जा रहे थे। रास्ते में प्रभु ब्राह्मण का रूप धारण कर आ गए। आम खाए और कुछ अध खाए ।आम ब्राह्मणी की झोली में डाल दिए। उसी झोली में चोखा मेला बाल रूप में प्रकट हुए। उन्होंने कहा कि एक बार चोखा मेला केला खिलाने पंडरी नाथ के मंदिर में पहुंच गए।
पुजारियों ने मंदिर में पीट दिया। चोखा घायल होकर लौटे। भगवान खुद केला खाने चोखा मेला के घर पहुंच गए। अगले दिन जब पुजारियों ने मंदिर का कपाट खोला तो अंदर केले के छिलके पड़े थे। पुजारियों ने शक चोखा मेला पर किया।
पुजारियों ने भक्त के घर जाकर उसकी पिटाई कर दी। भक्त की पिटाई से प्रभु ने नाराज होकर मंदिर के अंदर से कपाट बंद कर लिए। भगवान से माफी मांगने के बाद पुजारियों ने भक्त चोखा मेला से माफी मांगी और उन्हें पालकी में बैठाकर मंदिर ले आए। तब कहीं जाकर कपाट खुले।
अंत में भजन गाया-मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है। भजन पर भक्तगण झूम उठे। कथा सुनने वालों में मनोज यादव, मुकेश शंखधर, पवन गुप्ता, सतीश माथुर, संजीव मिश्र, प्रदीप गुप्ता आदि मौजूद रहे।