प्रदेश सरकार संस्कृत शिक्षा को दे रही है बढ़ावा
बदायूँ : 07 अगस्त। संसार की उपलब्ध भाषाओं में संस्कृत प्राचीनतम भाषा है। इस भाषा में प्राचीन भारतीय सभ्यता और संस्कृति का बहुत बड़ा भण्डार है। वैदिक काल से लेकर आधुनिक काल तक इस भाषा में रचनाएँ होती रही हैं, साहित्य लिखा जाता रहा है।
जिन दिनों लिखने के साधन विकसित नहीं थे, उन दिनों भी इस भाषा की रचनाएँ मौखिक परम्परा से चल रही थीं। उस परम्परा की रचनाएँ आज, अक्षरशः सुरक्षित हैं। यही नहीं, उनके उच्चारण की विधि भी पूर्ववत् है, उसमें कोई मौलिक परिवर्तन नहीं हुआ है।
संस्कृत भाषा को देववाणी या सुरभारती कहा जाता है। इस भाषा में साहित्य की धारा कभी नहीं सूखी, यह बात इसकी अमरता को प्रमाणित करती है। मानवजीवन के सभी पक्षों पर समान रूप से प्रकाश डालने वाली इस भाषा की रचनाएँ हमारे देश की प्राचीन दृष्टि की व्यापकता सिद्ध करती हैं। श्वसुधैव कुटुम्बकमंश् (सम्पूर्ण पृथ्वी ही हमारा परिवार है) का उद्घोष संस्कृत भाषा साहित्य की ही देन है।
संस्कृत भाषा वैज्ञानिक दृष्टि से भारोपीय परिवार की भाषा है। ग्रीक, लैटिन, अंग्रेजी, रूसी, फ्रांसीसी, स्पेनी आदि यूरोपीय भाषाएँ भी इसी परिवार की भाषाएँ कही गई हैं। यही कारण है कि इन भाषाओं में संस्कृत शब्दों जैसी ही ध्वनि और अर्थ वाले अनेक शब्द मिलते हैं। ईरानी भाषा तो संस्कृत से बहुत अधिक मिलती है।
हमारे देश की प्रायः सभी आधुनिक भाषाएँ संस्कृत से जुड़ी हैं। हिन्दी, मराठी, गुजराती, बंगला, ओड़िआ, असमिया, पंजाबी, सिन्धी आदि भाषाएँ भी इससे विकसित हुई हैं।
प्रदेश में संस्कृत माध्यम से पठन-पाठन की व्यवस्था के लिये कुल 1164 से अधिक संस्कृत माध्यमिक विद्यालय संचालित है, जिनमें 01 लाख से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत है। प्रदेश सरकार द्वारा संस्कृत शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिये निरन्तर कार्य किये जा रहे है जिससे संस्कृत शिक्षा को उल्लेखनीय बढ़ावा मिला है। प्रदेश में वर्तमान सरकार के पूर्व केवल 02 राजकीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालय थे किन्तु मा० मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ जी ने 15 नवीन आवासीय संस्कृत
माध्यमिक विद्यालयों की स्थापना विद्यालयों की स्थापना का निर्णय लेते हुए निमार्ण कराया है। मुख्यमंत्री जी ने वर्ष 2023 में प्रदेश में सहायता प्राप्त 900 संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों की आधारित संरचना के विकास, विस्तार और सुदृढीकरण हेतु प्रथम बार धनराशि रू०100 करोड़ प्रदान किये है। इस वर्ष राजकीय तथा सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों के जीर्णोंद्धार अनुरक्षण और सुविधाओं के विकास हेतु प्रथम किश्त के रूप में रू0 13.65 करोड़ प्रोजेक्ट अलंकार हेतु अवमुक्त किया है।
प्रदेश में इन सहायता प्राप्त विद्यालयों को साज-सज्जा और फर्नीचर इत्यादि के लिये रू० 05 करोड़ की अतिरिक्त धनराशि भी प्रथम बार दी गयी। सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिये प्रथम बार पारदर्शी चयन प्रक्रिया बनायी गयी है तथा 1020 मानदेय शिक्षकों की तैनाती की गयी है। प्रदेश में प्रथम बार संस्कृत विद्यालयों के प्रधानाचार्यों एवं अध्यापकों की दक्षता सम्बर्धन के लिये 05 दिवसीय सेवारत शिक्षक प्रशिक्षण भी कराया गया है। जिसमें वित्तीय एवं विद्यालय प्रबन्धन के साथ-साथ नवाचार शिक्षा का प्रशिक्षण भी दिया गया है। पारम्परिक विषयों के साथ आधुनिक विषयों एवं एन०सी०ई०आर०टी० के पाठ्यक्रम का समावेश करते हुए संस्कृत शिक्षा के आधुनिकीकरण व प्रसार हेतु वर्ष 2019 से समस्त संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों में नवीन पाठ्यक्रम लागू किया गया है।
प्रदेश में संचालित संस्कृत विद्यालयों में रोजगारपरक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये डिप्लोमा पाठ्यक्रम प्रारम्भ किये गये है जिसमे पौरोहित्य (कर्मकाण्ड) व्यवहारिक वास्तुशास्त्र, व्यवहारिक ज्योतिष, योग विज्ञानम् हैं। ये डिप्लोमा पाठ्यक्रम मान्यता प्राप्त विद्यालयों में स्ववित्तपोषित आधार पर संचालित हो रहे है। पाठ्यक्रम एक वर्षीय है, जो दो सेमेस्टर में विभाजित है। इंटर्नशिप के माध्यम से व्यवहारिक ज्ञान पर अधिक बल दिया गया है। इन डिप्लोमा पाठ्यक्रमों में उत्तर मध्यमा (कक्षा 12वी) या समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थी प्रवेश हेतु पात्र होंगे, इसमें उच्च परीक्षा उत्तीर्ण अभ्यर्थी भी प्रवेश ले सकते है। प्रवेश हेतु कोई आयु सीमा नहीं है।
संस्कृत विद्यालयों में डिप्लोमा पाठ्यक्रम चलाने हेतु अध्यापकों की व्यवस्था प्रबन्ध समिति द्वारा अपने निजी स्त्रोतो के माध्यम से की जा रही है। इसी प्रकार परीक्षा प्रणाली में व्यापक सुधार करते हुए ऑनलाइन परीक्षा आवेदन, अग्रिम पंजीकरण, और परीक्षा केन्द्रों पर सी०सी०टी०वी० की निगरानी में परीक्षा की व्यवस्था प्रारम्भ की गयी है।
वर्तमान सरकार द्वारा नवीन संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों की मान्यता प्रारम्भ की गयी है। ऑनलाइन स्वच्छ एवं पारदर्शी
प्रक्रिया के माध्यम से अद्यतन प्रदेश में 51 संस्थाओं को नवीन मान्यता प्रदान की गयी। राजकीय और सहायता प्राप्त संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत कक्षा 6-8 तक के विद्यार्थियों के लिये निःशुल्क पाठ्यपुस्तकों और मध्याहन भोजन तथा कक्षा 12 तक के सभी पात्र विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति भी प्रदान की जा रही है।
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