बागवानी फसलें अपनाने से किसान हो रहे समृद्ध

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बागवानी फसलें अपनाने से किसान हो रहे समृद्ध

Thursday, October 16, 2025 | October 16, 2025 Last Updated 2025-10-16T13:29:52Z
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बागवानी फसलें अपनाने से किसान हो रहे समृद्ध

बदायूँ : 16 अक्टूबर। प्रदेश सरकार का ध्येय है कि किसानों की आय में दोगुना वृद्धि हो। किसान अपने खेतों में परम्परागत फसलें जैसे गेंहू, चना, मटर, सरसों, जौ, बाजरा, मक्का, ज्वार, धान आदि फसलें बोकर उत्पादन करतें है, किन्तु यदि वे अपने कुछ खेतों में बागवानी फसलें बोये तो उन्हें अच्छा लाभ होगा। उत्तर प्रदेश की विविधतापूर्ण जलवायु सभी प्रकार की बागवानी फसलों के उत्पादन के लिए उपयुक्त है। 

प्रदेश सरकार द्वारा बागवानी विकास हेतु किसानों की दी जा रही सुविधाओं से किसान फसलों का उत्पादन करते हुए अपनी आय दोगुना कर रहे है।
बागवानी फसलों के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के फलों पपीता, अमरूद, केला, आम, अंगूर, बेल आदि शागभाजी, में फूलगोभी, बन्दगोभी, मटर टमाटर, सलजम, आलू, प्याज, लौकी, कद्दू, गाजर, आदि, मसालों में धनिया, हल्दी,

 सौफ, जीरा, मिर्चा, लहसून, आदि, औषधीय खेती में एलोवेरा, अश्वगंधा, सर्पगंधा, पिपरमेंट, सतावरी, तुलसी, ब्राम्ही आदि फसलें बोकर किसान अच्छा लाभ प्राप्त कर रहे है। बागवानी खेती के लिए सरकार अनुदान भी दे रही है, जिसका लाभ किसानों को मिल रहा है।

प्रदेश के कृषि सेक्टर के विकास में लगभग 28 प्रतिशत औद्यानिक फसलों का योगदान होता है। प्रदेश में अधिकतर छोटे, लघु और मध्यम किसानों द्वारा परम्परागत खेती के स्थान पर बागवानी खेती को अपनाकर फसलें उत्पादित कर आर्थिक लाभ लिया जा रहा है। बागवानी फसलो का कृषि एवं संवर्गीय क्षेत्र के सकल घरेलू उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान है।

 बागवानी फसलें इकाई क्षेत्र से अधिक आय, रोजगार एवं पोषण उपलब्ध कराने में सक्षम है। बागवानी फसलें विविधतापूर्ण होती है।
प्रदेश के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा प्रदेश में फल, शाकभाजी, आलू पुष्प, मसाले, औषधीय एवं सगंधपौधों, पान विकास के साथ-साथ सहायक उद्यम के रूप से मौनपालन, मशरूम उत्पादन, खाद्य प्रसंस्करण, पान की खेती आदि के लिए विभिन्न योजनायें संचालित की है। 

जिनका लाभ किसानों को दिया जा रहा हैं।
प्रदेश में एकीकृत बागवानी विकास मिशन, ड्रिप, स्प्रिंकलर सिंचाई की स्थापना, औषधीय पौध मिशन, अनुसुचित जाति, अनु जनजाति बाहुल्य क्षेत्र में बागवानी विकास के माध्यम से

 कृषकों को अनुदान देते हुए उनके उत्पादन में वृद्धि की जा रही है। प्रदेश में विभिन्न फसलों को खाद्य प्रसंस्करण करने के लिए स्थापित इकाइयों में आवश्यक मानव संसाधन के दृष्टि से भी बागवानी फसलों के किसानों कृषि मजदूरों को रोजगार प्राप्त हो रहा है।
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