अंतराष्ट्रीय शायर फहमी बदायूंनी का 72 साल की उम्र में निधन, बदायूं में घर पर ली अंतिम सांस

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अंतराष्ट्रीय शायर फहमी बदायूंनी का 72 साल की उम्र में निधन, बदायूं में घर पर ली अंतिम सांस

Sunday, October 20, 2024 | October 20, 2024 Last Updated 2024-10-21T03:16:18Z
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अंतराष्ट्रीय शायर फहमी बदायूंनी का 72 साल की उम्र में निधन, बदायूं में घर पर ली अंतिम सांस
बदायूं:- के मशहूर अंतरराष्ट्रीय शायर फहमी बदायूंनी नहीं रहे। उन्होंने रविवार को बिसौली स्थित अपने घर पर अंतिम सांस ली। *वह 72 वर्ष के थे।* जाने माने अंतराराष्ट्रीय शायर फहमी बदायूंनी का रविवार शाम को बिसौली स्थित उनके आवास पर निधन हो गया।

वह 72 साल के थे। पिछले एक माह से उनकी तबीयत खराब चल रही थी। फहमी बदायूंनी के निधन की खबर सुनते ही शायरों व साहित्य प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई। *4 जनवरी 1952 को बिसौली कस्बे में मोहल्ला पठान टोला में जन्मे* पुत्तन खां फहमी ने पढ़ाई करने के बाद पहले लेखपाल की नौकरी की,
 
लेकिन नौकरी में उनका दिल नहीं लगा इसके बाद *80 के दशक में शायरी में कदम रखा।* पहले बिसौली व आसपास के मुशायरों में भाग लिया। बदायूं के मशहूर अंतरराष्ट्रीय शायर फहमी बदायूंनी नहीं रहे। उन्होंने रविवार को बिसौली स्थित अपने घर पर अंतिम सांस ली। वह 72 वर्ष के थे।

पिछले एक माह से उनकी तबीयत खराब चल रही थी। फहमी बदायूंनी के निधन की खबर सुनते ही शायरों व साहित्य प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई।

इस शेर से फलक पर पहुंचे, इसके बाद एक मुशायरे में उन्होंने पढ़ा-

प्यासे बच्चे पूछ रहे हैं, मछली-मछली कितना पानी, छत का हाल बता देता है, पतनालों से बहता पानी। उनका यह शेर खासा प्रसिद्ध हुआ। इसके बाद फ़हमी बदायूंनी का प्रदेश फिर देशभर के मुशायरों में आना जाना हो गया। एक के बाद एक उनके कई शेर खासे चर्चित हुए। 

शायरी की दुनियां में फहमी बदायूंनी एक अलग पहचान बन चुके थे। उनके शार्गिद श्रीदत्त शर्मा मुजतर बिसौलवीं ने बताया कि फहमी साहब को मुरारी बापू काफी पसंद करते हैं। गुजरात में उनके आश्रम में *वह करीब 20-25 बार मुशायरा कर चुके हैं।* कई बार बापू उन्हें अपने साथ कार्यक्रम में ले जाते थे।

फहमी साहब सऊदी अरब, अफ्रीका, यूएसए समेत कई देशों में मुशायरों में भाग ले चुके हैं। *देश में करीब 200-250 मुशायरों में शिरकत की।* सोशल मीडिया पर लाखों फैंस, सोशल मीडिया पर फहमी बदायूंनी के फैंस की संख्या लाखों में हैं।

 घर में उनके दो बेटे व पत्नी हैं। फ़हमी साहब ने अपना आखिरी मुशायरा बीती होली लखनऊ में किया। इसके बाद इनकी तबीयत में गिरावट आती चली गई। पिछले एक महीने से तबीयत काफी खराब चल रही थी। सांस लेने में दिक्कत थी।

एम्स में उनका इलाज चल रहा था। रविवार शाम करीब साढ़े चार बजे आवास पर उनका निधन हो गया। इसकी खबर मिलते ही लोग उनके घर सांत्वना पहुंचने लगे।
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