प्रेम, अहिंसा, दयाकर्म के प्रेणता हैं अक्रूरजी
संभल -अक्रूर जी भगवान कृष्णा के प्रति बहुत श्रद्धा रखते थे और उनकी दिव्यता को समझते थे। जब वे श्रीकृष्ण और बलराम को वृंदावन से मथुरा ले जा रहे थे, तो उन्हें रास्ते में भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य दर्शन हुए, जिससे उनकी आंखों से आंसू निकल आए। यह वृतांत श्री वार्ष्णेय सभा संभल द्वारा अक्रुरजी जन्मोत्सव पर आयोजित एक कार्यक्रम में वक्ताओं द्वारा व्यक्त किया गया
वार्ष्णेय सभा संभल द्वारा आर्य समाज मंदिर सरायतरीन में अक्रूर जी के जन्मोत्सव पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य अतिथि मैंथा व्यापारी कृष्ण कुमार गुप्ता ने कहा कि प्रेम,अहिंसा,दयाधर्म के प्रेणता एवं वार्ष्णेय समाज के कुल प्रवर्तक हैं
भगवान कृष्ण के काका थे ऐसी स्थिति में वार्ष्णेय समाज का दायित्व है कि कुल प्रवर्तक के बताए मार्ग पर चलें और उन्हें याद करते रहें विशिष्ट अतिथि बी.ड़ी. इंटर कॉलेज के प्रबंधक निर्दोष वार्ष्णेय ने कहा कि हमें अक्रूर वंशज होने पर गर्व है जो भगवान कृष्ण के काका रहे
कितने महान होंगे इस अवसर पर निर्दोष बजाज,करुणा देवी,यशोदा देवी,त्रिवेदी प्रकाश सर्राफ,त्रिभुवन सर्राफ, पुनीत सर्राफ,गौरव वार्ष्णेय चुन्नू,दयानंद वार्ष्णेय, रमाशंकर वार्ष्णेय, परमानंद वार्ष्णेय,अनुज आर्य,सुमित श्याम,मनीष सर्राफ,विपिन सर्राफ,अनिल वार्ष्णेय गन हाउस,
चेतन वार्ष्णेय,नवरत्न वार्ष्णेय,दीपा वार्ष्णेय,कल्पना वार्ष्णेय, शशि वार्ष्णेय, कुमकुम बाला वार्ष्णेय,अंजू वार्ष्णेय,रश्मि वार्ष्णेय पवन,शिल्पी वार्ष्णेय,पारस वार्ष्णेय एडवोकेट,मधुरलता,कमल चौधरी,राकेश वार्ष्णेय,संजीव आर्य,संध्या वार्ष्णेय आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए कार्यक्रम की अध्यक्षता जगत आर्य व संचालन देवेंद्र वार्ष्णेय एडवोकेट ने किया।