संभल में चकबंदी विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने आपस में ही बांट ली करोड़ों रुपए की सरकारी जमीन
नेशनल 24 लाइव न्यूज़
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में सरकारी जमीन को दर्जनों लोगों के नाम पर फर्जी तरीके से आप अंकित करके उसे बेचने की कोशिश करने का मामला सामने आया है। यह सारा कार्य चकबंदी विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों ने मिलकर किया है।
संभल जिले में चकबंदी विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने करोड़ों रुपए की सरकारी जमीन का बंदरबांट कर लिया ।इसके बाद जमीनों की फाइलें ही गायब कर दी गई। इन लोगों ने 58 व्यक्तियों को 326 बीघा सरकारी जमीन अवैध रूप से आवंटित कर दी जबकि इनमें से कोई भी व्यक्ति उस इलाके का नहीं था। सभी व्यक्तियों के दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं इस बड़ी धोखाधड़ी के मामले में चकबंदी विभाग के चार कर्मचारियों को फिलहाल गिरफ्तार कर लिया गया है।
संभल के पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार ने पत्रकारों को बताया कि यह धोखाधड़ी गुन्नौर थाना क्षेत्र में हुई है अधिकारियों ने कहा कि चकबंदी विभाग के अधिकारियों ने सुखैला गांव में जमीन की हेरा फेरी की , इसे आधिकारिक तौर पर निर्जन घोषित किया गया था।
तत्कालीन लेखपाल कुलदीप सिंह के द्वारा प्रारंभिक शिकायत दर्ज कराई गई थी । इसके बाद वर्ष 2018 में प्राथमिकी दर्ज की गई।
पुलिस अधीक्षक और आज बृहस्पतिवार को कर्मचारी कालीचरण, राम अवतार, मोरध्वज और रामनिवास एवं चार अन्य लोगों को गिरफ्तार किया गया। इन सभी लोगों ने पोस्ट की की एक अन्य कर्मचारी सुरेंद्र कुमार अभी फरार है। इस जमीन धोखाधड़ी की जांच अभी भी जारी है।
पुलिस अधीक्षक का कहना है कि 7 साल के बाद उक्त मामले का खुलासा हुआ है कल 67 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था इसमें 58 लोग वह हैं जिनके नाम से जमीन आवंटित की गई थी पता चला कि 58 लोग मौजूद ही नहीं है
अन्य नवलोक चकबंदी विभाग के कर्मचारी हैं और इन नौ लोगों में से चार लोगों को पकड़ा गया है एक फरार है जबकि चार अन्य की मौत हो चुकी है। पुलिस अधीक्षक का कहना है की चकबंदी कर्मचारियों का प्लान था
कि पहले फर्जी लोगों के नाम जमीन को आवंटित करने के बाद पोस्ट जमीन को खुर्द करके अपने नाम कर लिया जाएगा। लेकिन ऐसा करने से पहले ही उन लोगों का भंडा फोड़ हो गया।