सर सय्यद की शिक्षिकाओं को डिनर मान कर हज़म कर जाते हैं अलीगिरियन:: फरहत अली खान
रामपुर। आज 17 अक्टूबर भारत की पावन धरती पर उस शिक्षा के जनक सर सय्यद अहमद खान का जन्म दिन है जिसने देश के मुस्लिमों में दीनी तालीम के साथ साथ सामाजिक शिक्षा का दीप जलाया।
उन्होंने प्रताड़ना सही वो कष्ट झेले जो सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। मगर कोम को सामाजिक बराबरी लाकर खड़ा कर दिया।
सबसे बड़ा फ़तवा काफिर उस दौर में झेला जब इस शब्द से बड़ा अपमान कोई हो ही नहीं सकता था।
मुस्लिम महासंघ के अध्यक्ष फरहत अली खान का कहना है कि आज हर क्षेत्र में विश्व स्तर पर अलीगढ़ यूनिवर्सिटी अपनी पहचान रखती है।
मगर अलीगिरियन सर सय्यद की शिक्षिकाओं को मात्र डिनर मानकर हज़म कर जाते हैं। उन्होंने कहा कि मैने आज तक किसी भी अलीगिरियन को जो अपने अपने क्षेत्र में महारत रखते हैं उन्हें सर सय्यद के नाम पर एक अक्टूबर से सत्रह अक्यूबर तक स्वास्थ शिक्षा खेल पर विशेष सेवाएं देते नहीं देखा और न ही सुना।
सर सय्यद का अहम काम शिक्षा ही नहीं बल्कि शिक्षा के माध्यम से मुल्क में चेन अमन सुकून और भाई चारा कायम करना था।
जिसे प्रोफेशन और दौलत के
मोतियाबिन ने हर अलीग की आंखों को धुंधला कर दिया है।
उन्होंने सभी देश वासियों को मुस्लिम समाज में शिक्षा के जनक सर सय्यद अहमद खान के जन्म दिन की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं दी।