नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत संचालित परियोजनाओं से स्वच्छ हो रही हैं गंगा नदी
बदायूँ : 17 अक्टूबर। हिमालय से निकली गंगा नदी युगो-युगों से पवित्र पतितपावनी और मोक्षदायिनी रही है। भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से ही जनमानस में मां गंगा के प्रति गहरी श्रद्धा और आस्था रही है। गंगा के किनारे अनेकों नगर बसे है। गंगा के तट पर धर्म, दर्शन और संस्कृति पर सदैव गहन शोध तथा विविध सामाजिक एवं आध्यात्मिक विषयों पर कथा वार्ता और विमर्श होते रहे है। गंगा के तटों पर स्थित धार्मिक स्थलों में आकर लोगों को आध्यात्मिक शान्ति मिलती हैं
औद्योगिक विकास होने पर अनेक नदियों के प्रदूषित जल से गंगा जल प्रदूषित होने लगा है। भारत सरकार के मा0 प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने एक एकीकृत संरक्षण मिशन में नमामि गंगे कार्यक्रम संचालित किया जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय नदी मां गंगा के प्रदूषण में प्रभावी कमी लाने, संरक्षण और पुनरूद्धार करना है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में राज्य स्वच्छ गंगा मिशन-उत्तर प्रदेश नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य में 74 सीवर शोधन की परियोजनायें स्वीकृत हुई हैं, जिनमे से 39 पूर्ण की जा चुकी हैं
तथा शेष 22 पर कार्य प्रगति में है। 02 परियोजनाओं की निविदा प्रक्रिया पूर्ण कर कार्यादेश निर्गत हैं। 09 परियोजना के क्रियान्वयन हेतु वर्तमान में टेंडर की प्रक्रिया है तथा 02 नई परियोजनायें स्वीकृत हुई है। प्रदेश में कुल 74 परियोजना हेतु स्वीकृत धनराशि रूपए 16177.12 करोड़ है। उपरोक्त 74 परियोजनाओं के पूर्ण होने से 2288.30 एमएलडी सीवेज शोधित हो सकेगा।
वर्तमान में राज्य में नमामि गंगे कार्यक्रम के अन्तर्गत 32 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (22 प्रगतिशील परियोजनाओं में) निर्माणाधीन है जिनकी क्षमता 900.10 एमएलडी है। साथ ही 8 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (9 परियोजना) के निविदा प्रक्रिया के अधीन है, जिनकी कुल क्षमता 483.0 एमएलडी है। वर्तमान में इनके आलावा 09 सीवरेज परियोजनाओं की डीपीआर नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत विचाराधीन हैं
जिनकी कुल प्रस्तावित क्षमता 555.0 (08 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) एमएलडी है। नमामि गंगे कार्यक्रम के अन्तर्गत राज्य में अब तक कुल 38 ैज्च् (39 परियोजनाओं में) का निर्माण पूर्ण किया जा चुका है जिनकी कुल शोधन क्षमता 849.70 एमएलडीहै। वर्तमान में राज्य में कुल 5500 एमएलडी सीवेज उत्पन्न हो रहा है तथा कुल 152 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट जिनकी क्षमता 4651.60 एमएलडी है, जल शोधन हेतु संचालित (ट्रायल रन में योजनाओ को शामिल करते हुए) हैं।
उ०प्र० में औद्योगिक उत्प्रवाह शोधन संबंधी 05 योजनाएं कानपुर, उन्नाव, बन्थर, मथुरा तथा गोरखपुर में पूर्व में स्वीकृत हुई थी, जिसमें से मथुरा औद्योगिक क्षेत्र की परियोजना का कार्य पूर्व में पूर्ण हो चुका था। कानपुर (जाजमऊ टेनरी क्लस्टर) की परियोजना पूर्ण कर संचालित की गयी। बन्धर में कार्य प्रगति में है एवं 70 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है।
उन्नाव परियोजना के क्रियान्वयन हेतु अनुबन्ध गठन की कार्यवाही प्रगति पर है। गोरखपुर सी.ई.टी.पी. परियोजना हेतु संशोधित क्षमता हेतु डी.पी. आर. गठित कर एन.एम.सी.जी. को स्वीकृति हेतु प्रेषित किया जा चुका है।
इन कार्यों के अतिरिक्त प्रयागराज में 07 घाटों (1. दशाश्वमेध घाट, 2. किला घाट, 3. नौकायन घाट, 4. ज्ञान गंगा आश्रम घाट, 5. सरस्वती घाट, 6. महेवा घाट, 7. रसूलाबाद घाट) का महाकुम्भ-2025 के पूर्व निर्माण कार्य पूर्ण कर लिया गया था। फतेहपुर (नागेश्वर धाम आश्रम घाट) तथा बलिया में घाट निर्माण का कार्य प्रगति पर है। योजनाएं डीबीओटी तथा एचएएम पीपीपी मोड पर आधारित है।
इन योजनाओं में 15 वर्ष के संचालन एवं रख रखाव की व्यवस्था की गयी है।
प्रदेश में सीवर शोधन की परियोजना प्रयागराज नैनी, फाफामऊ, झुसी, कन्नौज, नरोरा, गढ़ मुक्तेश्वर, अनूपशहर, कानपुर, बिठूर, अयोध्या, मथुरा-वृन्दावन, छाता (मथुरा), कोसीकला (मथुरा), वाराणसी, चुनार, फिरोजाबाद, मुरादाबाद, कासगंज, इटावा, शुक्लागंज-उन्नाव, सुल्तानपुर, जौनपुर, बागपत, मुज़फरनगर, बुडाना, लखनऊ, गाज़ीपुर, मिर्जापुर, बरेली, कैराना, फर्रूखाबाद मेरठ, देवबन्द (सहारनपुर), सहारनपुर, शामली, हापुड़, गोरखपुर, आगरा
, गुलावटी (बुलंदशहर), पंडित दीन दयाल नगर (मुगलसराय-चन्दौली), भदोही, राम नगर, हाथरस, अलीगढ़, डलमऊ (रायबरेली), मानिकपुर (प्रतापगढ़), में क्रियान्वित की जा रही हैं।
नमामि गगे के अंतर्गत संचालित इन परियोजनाओं का मुख्य उद्देश्य विभिन्न नालो द्वारा नदियों में प्रवाहित अपशिष्ट जल का शोधन कर नदियों में हो रहे प्रदुषण की रोकथाम करना है। इसके अतिरिक्त घाट, शवदाहगृह एवं कुंडो का निर्माण एवं पुनरुद्धार का कार्य भी किया जा रहा है। इस क्रम में 80 घाटों एवं 15 शवदाहगृह का कार्य पूर्ण किया गया है।
वाराणसी में 26 नहाने वाले घाटों का पुनरुद्धार किया गया है। वाराणसी में 08 कुंडो का पुनरूद्धार व सौन्दर्यीकरण का कार्य भी पूर्ण किया गया है। वृन्दावन क्षेत्र में 09 कुंडो के पुनरुद्धार हेतु परियोजना तैयार कर एनएमसीजी को स्वीकृति हेतु प्रेषित है जो शीघ्र स्वीकृति होकर क्रियान्वित होगी।
उत्तर प्रदेश राज्य के 25 शहरी निकाय रिवर सिटी एलाइंस प्लेटफार्म पर बोर्ड किये जा चुके हैं। इस सन्दर्भ में कानपुर एवं अयोध्या के अरबन रिवर मैनेजमेंट प्लान एनआईयूए एवं एनएमसीजी के सहयोग से तैयार कर लिया गया है।
इससे पूर्व बरेली एवं मुरादाबाद का यूआरएमपी एनआईयूए द्वारा तैयार किया जा चुका था। इनके अतिरिक्त मिर्जापुर, गोरखपुर, बिजनौर, मथुरा-वृन्दावन, शाहजहांपुर का यूआरएमपी तैयार किये जाने हेतु इन नगर निकायों द्वारा कार्य प्रगति पर है। इस क्रम में प्रयागराज हेतु भी यूआरएमपी+डब्ल्सूएएल के सिद्धांतो पर ड्राफ्ट योजना तैयार हो गयी है, जिसे शीघ्र ही अन्तिम रूप प्रदान कर कार्यवाही की जाएगी।
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