अल्पसंख्यक नेता,पूर्व जिला पंचायत सदस्य हाफ़िज़ इरफ़ान ने अल्पसंख्यक अधिकार दिवस के मौक़े पर मुहल्ला नवादा सहसवान बदायूं में गोष्ठीका आयोजन किया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में ऑल इंडिया मोहम्मदी मिशन के सेक्रेट्री जनरल सैयद बाबर अशरफ़ साहब किछौछ्ववी ने कहा कि वर्तमान राष्ट्रीय परिस्थितियों के मद्देनज़र केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से यह आग्रह करता है कि देश में अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा,
सम्मान और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा हेतु प्रभावी कदम तत्काल उठाए जाएँ।
आज बदलते हालात में देश के अनेक हिस्सों से सामाजिक तनाव, भय और असुरक्षा की शिकायतें सामने आ रही हैं, जो अत्यंत चिंताजनक है। भारत का संविधान सभी नागरिकों को समान अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता और सुरक्षा प्रदान करता है। इन अधिकारों का वास्तविक संरक्षण सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है।
हम सरकार से निम्नलिखित माँगें करते है
1. अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा और संरक्षण हेतु ठोस व प्रभावी कदम उठाए जाएँ।
2. मस्जिदों, मदरसों, खानकाहों और धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
3. अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हिंसा, नफ़रत और भेदभाव के मामलों पर त्वरित एवं निष्पक्ष कार्रवाई की जाए।
4. सामाजिक सौहार्द, भाईचारा और गंगा–जमुनी तहज़ीब की मजबूती हेतु सरकारी स्तर पर विशेष कार्यक्रम चलाए जाएँ।
5. पुलिस और प्रशासनिक तंत्र में जवाबदेही, संवेदनशीलता और पारदर्शिता बढ़ाई जाए यह देश विविधताओं और अनेकताओं का सुंदर गुलदस्ता है, और प्रत्येक भारतीय नागरिक को समान सम्मान मिलना हमारा नैतिक व राष्ट्रीय कर्तव्य है।
अल्पसंख्यक किसी विशेष सुविधा की नहीं, बल्कि केवल अपने संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा और समान न्याय की अपेक्षा रखते हैं। हम आशा करते हैं कि केंद्र व राज्य सरकारें इस दायित्व को गंभीरता से निभाएँगी।
देश के नागरिकों से अपील
हम सभी नागरिकों से आह्वान करते हैं कि आपसी भाईचारा और सद्भाव को मजबूत करें,
अफवाहों और नफ़रत से दूर रहें, सविधान के सिद्धांतों – न्याय, स्वतंत्रता और समानता – को व्यवहार में अपनाएँ।
उस से पहले
कार्यक्रम आयोजक, अल्पसंख्यक नेता हाफ़िज़ इरफ़ान पूर्व जिला पंचायत सदस्य ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि,सदभाव सहित,भारत का संविधान समानता और न्याय की बात करता है, लेकिन आज हकीकत कुछ और ही कह रही है।
उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में मुसलमानों को बार-बार निशाना बनाया जा रहा है—भीड़ हिंसा से लेकर संस्थागत भेदभाव तक।
दादरी के मोहम्मद अख़लाक की हत्या को लगभग एक दशक हो गया, लेकिन न्याय आज भी अधूरा हैकन्नौज में एक पुलिस अधिकारी को सिर्फ इसलिए सज़ा दी गई क्योंकि उन्होंने बेटियों की सुरक्षा पर बोलते हुए पैग़म्बर मुहम्मद ﷺ की एक शिक्षाप्रद बात कही।
वहीं दूसरी ओर, सत्ता-समर्थित धार्मिक प्रदर्शनों पर कोई सवाल नहीं।
यही दोहरा मापदंड अल्पसंख्यकों में डर पैदा करता है और लोकतंत्र को कमज़ोर करता है।
अल्पसंख्यक अधिकार दिवस सिर्फ तारीख़ नहीं, एक सवाल है—
क्या भारत में न्याय सबके लिए बराबर है?
हमें नफ़रत के ख़िलाफ़ खड़ा होना होगा।
संविधान के पक्ष में बोलना होगा।
और यह याद दिलाना होगा कि कोई भी नागरिक डर में न जिए।
कार्यक्रम में हाफ़िज़ अब्दुल हादी का़री राहत साहब, हाफ़िज़ रईस, क़ारी राशिद, हाफ़िज़ मुसव्विर जाविद हाजी नफीस फारुकी, डॉ फहीम, शाहरुख, ज़मीरुलहसन मिस्त्री नफीस, हमीद मिस्त्री,शब्बन सलमानी आदि मुख्य रूप से शामिल हुए
अंत में देश प्रदेश में शांति खुशहाली और अमन-चैन कायम रहने की दुआ की गई