नवाबों के शहर रामपुर में इस बार छह प्रत्याशियों के बीच टक्कर

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नवाबों के शहर रामपुर में इस बार छह प्रत्याशियों के बीच टक्कर

Monday, April 1, 2024 | April 01, 2024 Last Updated 2024-04-01T12:33:40Z
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नवाबों के शहर रामपुर में इस बार छह प्रत्याशियों के बीच टक्कर


नवाबों के शहर रामपुर में इस बार छह प्रत्याशियों के बीच टक्कर होगी। इससे पहले 1977 में इतने से प्रत्याशी मैदान में थे। इस बार सियासी समीकरण बदल गया है। अब देखना है कि जीत किसको मिलती है।



रामपुर की सियासी पिच पर 47 साल बाद एक बार फिर छह खिलाड़ी चुनावी मैदान में उतरे हैं। इससे पहले 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में भी इतने ही प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरे थे। उस साल भारतीय लोकदल के राजेंद्र शर्मा को जीत मिली थी। अब देखना यह होगा कि 47 साल बाद जीत की चाबी किसके हाथ लगती है।

रामपुर नवाबों का शहर रहा है। नवाबों ने यहां करीब सवा 200 साल तक अपना शासन किया। इसके बाद देश आजाद हुआ तो रामपुर रियासत का विलय स्वतंत्र भारत में हुआ। स्वतंत्र भारत में रामपुर रियासत के विलय होने के बाद पहली बार 1952 में रामपुर की आवाम ने लोकसभा चुनाव के लिए वोट डाले।

शुरुआती दौर में तो प्रत्याशियों की संख्या महज दो-तीन ही हुआ करती थी, लेकिन इसके बाद यह संख्या लगातार बढ़ने लगी। एक दौर ऐसा भी आया जब प्रत्याशियों की संख्या बढ़कर 50 तक पहुंच गई थी। 50 प्रत्याशियों के चुनाव मैदान में उतरने की यह बात 90 के दशक यानि 1996 में हुए चुनाव की है।

पहली बार इतनी बड़ी संख्या में प्रत्याशी उतरे जिससे वोटर भी असमंजस की स्थिति में आ गए थे। मौजूदा वक्त में जो चुनाव हो रहे हैं


उसमें प्रत्याशियों की संख्या महज छह है,जबकि इससे पहले इतनी संख्या 1977 के चुनाव में ही थी। यानि 47 साल बाद एक बार फिर प्रत्याशियों की संख्या छह पर ही पहुंच पाई है।

आपातकाल लगने के बाद पहली दफा 1977 में चुनाव हुआ,जिसमें प्रत्याशियों की संख्या महज छह ही थी। इस दफा भी प्रत्याशियों की संख्या छह ही है।



 1977 के चुनाव में देश भर में बदलाव की बयार चली और रामपुर से गैर कांग्रेसी प्रत्याशी ने जीत हासिल की। उस वक्त भारतीय लोक दल के उम्मीदवार राजेंद्र शर्मा ने कांग्रेस के प्रत्याशी नवाब जुल्फिकार अली खां को पराजित कर दिया था।

प्रत्याशियों की संख्या को लेकर जानकार बताते हैं कि 90 के दशक के बाद इतनी संख्या पहली बार कम रही है। प्रत्याशियों की कम संख्या होने के क्या परिणाम होंगे यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।



 फिलहाल चुनावी मैदान में 47 साल बाद छह खिलाड़ी अपनी किस्मत अजमा रहे हैं। देखना यह होगा कि इसमें किसके सिर पर ताज सजेगा और किसको जनता नकारेगी।
 
17 आम चुनावों में उतरे 219 उम्मीदवार
पिछले 17 आम चुनाव में रामपुर की सियासी रणभूमि में 219 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत अजमाई है।

सबसे ज्यादा 1996 के चुनाव में 50 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत अजमाई थी। 17 दफा हुए चुनाव में दूसरी दफा छह प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। 1977 में इतनी ही संख्या में प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे।
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