जीवन में सफलता के लिए छात्राएं करें अथक प्रयास-अपर जनपद न्यायाधीश / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं, श्रीमती शिव कुमारी।

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जीवन में सफलता के लिए छात्राएं करें अथक प्रयास-अपर जनपद न्यायाधीश / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं, श्रीमती शिव कुमारी।

Thursday, July 10, 2025 | July 10, 2025 Last Updated 2025-07-10T16:11:05Z
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जीवन में सफलता के लिए छात्राएं करें अथक प्रयास-अपर जनपद न्यायाधीश / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं, श्रीमती शिव कुमारी।

उ०प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुकम में एवं माननीय जनपद न्यायाधीश / अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं के निर्देशानुपालन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं द्वारा दिनांक 10.07.2025 विधिक साक्षरता / जागरूकता शिविर का आयोजन भदवार गर्ल्स इन्टर कॉलेज, उझानी, जनपद बदायूं में आयोजित किया गया।
उक्त शिविर का शुभारम्भ श्रीमान अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं श्रीमती शिव कुमारी की अध्यक्षता में मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलित किया गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में सुश्री कशिश सक्सेना, असि. एल.ए.डी.सी. जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं द्वारा अपने वक्तव्य में राष्ट्रीय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली द्वारा संचालित योजनाओं, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं के द्वारा प्रदत्त निःशुल्क विधिक सेवाओं, विधिक साक्षरता / जागरूकता कैम्प के उद्देश्यों के बारे में बताया इसके अतिरिक्त भारतीय संविधान की प्रस्तावना, मौलिक अधिकारों, तीन नये भारतीय न्याय संहिता के कानून तथा उ०प्र० शासन द्वारा संचालित विभिन्न टोल फ्री नं० आदि के बारे विस्तारपूर्वक बताया।
इसी कम में श्रीमान अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश / सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं श्रीमती शिव कुमारी द्वारा अपने वक्तव्य में शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाने संबंधी कानून के लागू होने से स्वतंत्रता के छः दशक पश्चात् बच्चों के लिए निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का सपना साकार हुआ है। यह कानून 1 अप्रैल, 2010 से लागू हुआ इससे बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 नाम दिया गया है। इस अधिनियम के लागू होने से 6 से 14 वर्ष तक के प्रत्येक बच्चे को अपने नजदीकी विद्यालय में निःशुल्क तथा अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा पाने का कानूनी अधिकार मिले हैं। इस अधिनियम की खास बात यह है

 कि गरीब परिवार के वे बच्चे, जो प्राथमिक शिक्षा से वंचित हैं, के लिए निजी विद्यालयों में 25 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान रखा गया है, राइट-टू-इजूकेशन एक्ट लागू होने के अवसर पर माननीय प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में में कहा कि भारत नौजवानों का देश है, बच्चों और नौजवानों को उनकी शिक्षा और उनके विशिष्ट गुणों का परिमार्जन करके देश को खुशहाल और शक्तिशाली बनाया जाएगा, शिक्षा के अधिकार के साथ बच्चों एवं युवाओं का विकास होता है तथा राष्ट्र शक्तिशाली एवं समृद्ध बनता है। 

यह उत्तरदायी एवं सक्रिय नागरिक बनाने में भी सहायक है। इसमें देश के सभी लोगों, अभिभावकों एवं शिक्षकों का भी सहयोग आवश्यक है। शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने से 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को न तो स्कूल फीस देनी होगी, न ही यूनिफार्म, बुक, ट्रांसपोर्टेशन या मिड-डे मील जैसी चीजों पर ही खर्च करना होगा। बच्चों को न तो अगली क्लास में पहुँचने से रोका जाएगा, न निकाला जाएगा नही उनके लिए बोर्ड परीक्षा पास करना अनिवार्य होगा, कोई स्कूल बच्चों को प्रवेश देने से इंकार नहीं कर सकेगा, हर वर्ष 60 बच्चों को पढ़ाने के लिए कम से कम दो प्रशिक्षित अध्यापक होंगे। 

जिन स्कूलों में संसाधन नहीं हैं, उन्हें तीन साल के अंदर सुधारा जाएगा साथ ही तीन किलोमीटर के क्षेत्र में एक विद्यालय स्थापित किया जाएगा। इस कानून के लागू करने पर आने वाले खर्च केंद्र (55 प्रतिशत) और राज्य सरकार (45 प्रतिशत) मिलकर उठाएंगे, शिक्षा के अधिकार को मूल अधिकार का दर्जा देने के साथ ही इसे मूल कर्ततव्यों में शामिल कर अभिभावकों का कर्तुतव्य बनाया गया है। इस अधिनियम द्वारा राज्य सरकार, बच्चों के माता-पिता या संरक्षक सभी का दायित्व तय किया गया है तथा उल्लंघन करने पर अर्थदण्ड का भी प्रावधान है, तात्कालिक तौर पर सरकार का यह अधिनियम भारतीय राष्ट्र एवं समाज को एक विकसित एवं शिक्षित राष्ट्र के रूप में परिवर्तित करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त इस अधिनियम को सही रूप से क्रियान्वित कर 2020 ई.

 तक भारत को एक knowledge society में रूपान्तरित किया जा सकता है यही हमारे पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का भी सपना है। इसके अतिरिक्त पॉक्सो एक्ट, तीन नये भारतीय न्याय संहिता के कानून, गुड टच व बैड टच, किशोर न्याय बोर्ड के कियान्वयन, वरिष्ठ नागरिकों के अधिकारों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया।

उक्त शिविर के अन्त में सभी छात्राओं को अपने वक्तव्य में बताया कि छात्राओं को शिक्षित होना चाहिऐ व अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक होना चाहिए। इसके अतिरिक्त जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा निःशुल्क विधिक सेवायें प्रदान की जाती है, यदि किसी प्रकार पीड़ित के अधिकारों का उल्लंघन होता है तो वह अपने शिकायती प्रार्थना-पत्र

कार्यालय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं व सम्बन्धित थाना में निःसंकोच केस दर्ज करा सकते हैं, एवं साथ ही कार्यकम में उपस्थित छात्राओं से आह्नावान किया गया कि अपने आस-पास के परिवेश में अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें, तथा स्वच्छता का भी विशेष ध्यान रखें इसके अतिरिक्त छात्राओं के खिलाफ अपराध जैसे एसिड हमला, बलात्कार, अपहरण, दहेज उत्पीडन, एवं यौन उत्पीडन के सम्बन्ध में विस्तार पूर्वक बताया एवं घर से विद्यालय आने जाने पर छात्राओं को सड़क सुरक्षा की दृष्टि से हेल्मेट व शीट वेल्ट आदि यातायात नियमों का पालन करना चाहिए ताकि असमय होने वाली गम्भीर दुर्घटनाओं को रोका जा सके एवं 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों को भारत में 'नाबालिग (Minor) माना जाता है, 

कानूनी रूप से अवयस्क द्वारा किये गये विभिन्न प्रकार के अपराधों के मामले में विचारण हेतु भारतीय न्याय व्यवस्था के अधीन जनपद बदायूं में किशोर न्याय बोर्ड, का गठन किया गया है जिसमें 18 वर्ष से कम आयु के किशोरों को दण्ड स्वरूप बाल सुधार गृह बरेली में भेजा जाता है। एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं के कार्यों आदि तथा निःशुल्क विधिक सहायता हेतु विधिक जानकारी दी गयी इसके अतिरिक्त उनके द्वारा स्त्री-पुरुष सामानता सम्बन्धित प्रावधानों एवं महिलाओं की सुरक्षा एवं कल्याण सम्बन्धित विधिक प्रावधानों को विस्तृत रूप में बताया गया।


इसके अतिरिक्त दिनांक 13.09.2025 को आयोजित होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत में प्री-लिटिगेशन स्तर पर सुलह समझौते के आधार पर आप अपने वादों का निस्तारण करा सकते हैं, तथा सूक्ष्म एवं लघु प्रकृति के वादों को सम्बन्धित न्यायालय के निर्देशानुकम में जनपद न्यायालय परिसर में मध्यस्थता केन्द्र खुला हुआ है। उक्त मध्यस्थता केन्द्र के सदस्यों/अधिवक्ताओं द्वारा दोनों पक्षों को बिठाकर समझौता कराया जाता है, इसी कम में जनपद न्यायालय परिसर, बदायूं में स्थित ए०डी०आर० भवन संचालित न्यायालय स्थायी लोक अदालत की प्रक्रिया एवं कार्यकलापों के बारे में जानकारी दी

 गयी एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं के टोल फ्री नम्बर 15100 पर भी कॉल कर विधिक सहायता प्राप्त कर सकते हैं, इसके अतिरिक्त कार्यक्रम में, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं का स्टाफ एवं पराविधिक स्वयं सेवकगण, प्रेसीडेन्ट, राजन मेहन्दी रत्ता, कांसलर, मुल्तिजिम, जिला मिशन कोर्डिनेटर, छवि वैश्य, जिला प्रोबेशन कार्यालय की तरफ से संरक्षण अधिकारी, श्री रवि कुमार व भदवार गर्ल्स इन्टर कॉलेज, उझानी, जनपद बदायूं की प्रधानाचार्या श्रीमती सुजाता माथुर व विद्यालय का समस्त स्टाफ उपस्थित रहा। इसके उपरान्त शिविर के अध्यक्ष की अनुमति से उक्त शिविर का समापन किया गया।

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश / सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बदायूं
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