केसरिया बालम, पधारो म्हारे देश पर जमकर झूमे दर्शक
रामपुर। रजा लाइब्रेरी के स्थापना दिवस समारोह के आखिरी दिन भारत के विभिन्न प्रदेश के पारंपरिक शास्त्रीय व लोक नृत्य का कार्यक्रम भारत के रंग आयोजित किया गया। इस दौरान कलाकारों ने गीत व नृत्य के जरिए मंच पर रंग जमा दिया।
रजा लाइब्रेरी के 250 साल पूरा होने के मौके पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। सोमवार को रंगारंग कार्यक्रमों का आखिरी दिन था। आखिरी दिन कलाकारों ने अपनी विशेष प्रस्तुति के माध्यम से
भारत की विविधता में एकता को दर्शाया। सर्वप्रथम राजस्थानी लोक परंपरा पर आधारित स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया गया। केसरिया पधारो म्हारे देश गीत प्रस्तुत किया गया। इसके साथ ही दिया तिरंगा पर नृत्य प्रस्तुत किया गया।
इस दौरान कलाकारों ने असम लोक गीत, पंजाबी भांगड़ा, ऐगरी देवी (शास्त्रीय) लावणी-महाराष्ट्र लोक, डांडिया-गुजरात लोक, कालबेलिया-राजस्थान लोक, भो-शंगो-शिव (शास्त्रीय), सूफी, गंगा देवी (शास्त्रीय), गिद्दा और भांगड़ा-पंजाब लोक, नटेश कौतुवम-नृत्य के स्वाम
(शास्त्रीय), कश्मीरी-कश्मीर लोक, घुमर-राजस्थान लोक, तिल्लाना-(पारंपरिक शास्त्रीय) महारास यूपी लोक, फिनाले (शास्त्रीय, सारे जहाँ) सभी नृत्य रूप (शास्त्रीय और लोक) की प्रस्तुति देखकर श्रोता भाव-विभोर हो उठे। भारत क रंग राकेश सांई बाबू तथा प्रिया श्री निवासन प्रसिद्ध भरतनाट्यम नर्तक द्वारा कोरियोग्राफ किया गया।
इस अवसर पर निदेशक डाॅ. पुष्कर मिश्र ने राज्यपाल आनंदी बेन पटेल का अभिनंदन करते हुए उनके द्वारा संदेश देने पर हार्दिक बधाई व आभार प्रकट किया। निदेशक ने कहा कि रज़ा पुस्तकालय के शानदार 250 वर्षों से ज्ञान व शिक्षा की जोत जला रखी है
न जाने कितने लोग इससे रोशनी लेकर भारत का प्रकाश विश्व में फैला रहे हैं। उन्होंने कहा इस महोत्सव के द्वारा जिस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया गया वो अभूतपूर्व व अपने आप में एक उदाहरण है।