सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने शायराना अंदाज मे उठाये पुलिस कार्यबाही पर सवाल ।
संभल। सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने एक बार सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए शायराना अंदाज में पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने अपनी पोस्ट में जेल भेजे गए हिंसा में शामिल शारिक साठा गिरोह के सदस्य मुल्ला अफरोज व वारिस के साथ अन्य उपद्रवियों के फोटो भी शामिल किए हैं।
जामा मस्जिद के सर्वे विरोध में 24 नवंबर को हिंसा हुई थी। जिसमें चार लोगों की मौत और 30 पुलिस कर्मी घायल हुए थे। इस मामले में सांसद के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज है। लेकिन, उनकी गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक है।
सांसद इंटरनेट मीडिया पर लगातार सक्रिय हैं और सवाल उठा रहे हैं।
कुछ दिन पहले रायसत्ती पुलिस चौकी में हार्ट अटैक से हुई इरफान की मौत पर भी उन्होंने सवाल उठाए थे और अब गणतंत्र दिवस की बधाई देते हुए हिंसा में जेल भेजे गए उपद्रवियों के पक्ष में एक पोस्ट की है। एएसपी श्रीश्चंद्र ने बताता कि इंटरनेट मीडिया की लगातार निगरानी हो रही है। जो, उपद्रवी जेल गए हैं। उन्होंने स्वयं घटनाओं को कबूला है। कोई गलत नहीं जा रहा है।
गणतंत्र दिवस की मुबारकबाद। भारत का संविधान जिंदाबाद हमीं को क़ातिल कहेगी दुनिया हमारा ही क़त्ल-ए-आम होगा हमीं कुएं खोदते फिरेंगे हमीं पे पानी हराम होगा। अगर यही जेहनियत रही तो मुझे ये डर है कि इस सदी में ना कोई अब्दुल हमीद होगा ना कोई अब्दुल कलाम होगा।
अफ़सोस संभल में मजलूमों को कातिल बनाया जा रहा है और देश ख़ामोश है। मैं आप सभी से पूछना चाहता हूं कि किया हमारा संविधान बनाने का यही मकसद था। सभी धर्म के बुजुर्गों ने देश आज़ाद कराया और संविधान इसलिए बनाया था कि हर इंसान को बिना किसी भेद भाव के इंसाफ मिल सके।
सांसद ने लिखा, कि 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाने और भारतीय संविधान को लागू करने के पीछे अन्य धर्मों के साथ मुस्लिम महान नेताओं और स्वतंत्रता
सेनानियों का योगदान रहा। इनके प्रयासों और बलिदानों ने भारत को गणराज्य बनाने में मदद की। डॉक्टर भीमराव आंबेडकर, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद, पंडित, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, सुभाष चंद्र बोस, जस्टिस बेनीगल, महात्मा गांधी, सरदार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, मंगल पांडे, मौलाना अबुल कलाम आजाद, सरहदी गांधी के नाम से प्रसिद्ध, खान अब्दुल गफ्फार खान, सैफुद्दीन किचलू, डॉक्टर सैयद महमूद, बैकुंठ शेखर अहमद, जैदुनिसा ख़ातून और अन्य महिलाएं भी शामिल थीं।
रफ़ी अहमद किदवई, हसन इमाम, डॉक्टर जाकिर हुसैन, मौलाना मोहम्मद अली जौहर, अशफाक उल्ला खां, मौलाना मोहम्मद बरकतुल्लाह, मौलाना हसरत मोहानी यूसुफ मेहर अली सभी संविधान बनाने में मदद करने और स्वतंत्र सेनानियों को ख़िराजे अक़ीदत पेश करता हूं।
इस उम्मीद के साथ के संभल सहित पूरे देश में ज्यादती रुकेगी और इंसाफ मिलेगा। तब हम फख्र से कहेंगे महान पुरुषों की कुर्बानियां जाया नहीं गई और संविधान मुकम्मिल तरह से लागू हुआ। हिंदुस्तान जिंदाबाद।