प्रदेश में रेशम उत्पादन कर किसान प्राप्त कर रहें है अतिरिक्त आय

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प्रदेश में रेशम उत्पादन कर किसान प्राप्त कर रहें है अतिरिक्त आय

Tuesday, July 1, 2025 | July 01, 2025 Last Updated 2025-07-01T13:07:27Z
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प्रदेश में रेशम उत्पादन कर किसान प्राप्त कर रहें है अतिरिक्त आय

बदायूँ: 01 जुलाई। रेशम उत्पादन क्रार्यकम कृषि पर आधारित कुटीर उद्योगों में प्रमुख स्थान रखता है। उत्तर प्रदेश की भौगोलिक स्थिति, जलवायु एवं जैव विविधता रेशम उद्योग हेतु पूर्णतया अनुकूल एवं उपयुक्त है। प्रदेश में शहतूती, टसर, एरी तीन प्रकार का रेशम उत्पादन होता है. जो प्रदेश के 57 जनपदों में संचालित है।

प्रदेश में शहतूती रेशम हेतु मैदानी एवं तराई क्षेत्र, अरण्डी रेशम हेतु यमुना के समीपवर्ती स्थित जनपदों एवं टसर रेशम उत्पादन हेतु विन्ध्य क्षेत्र तथा बुन्देलखण्ड में प्रचलित है। रेशम कीटों के भोज्य वृक्षों के रूप में शहतूत एवं अरण्डी की खेती तथा अर्जुन/आसन वृक्षों का वृक्षारोपण करते हुए उनकी पत्तियों का उपयोग किया जाता है।

 शहतूती क्षेत्र में कृषकों के द्वारा वर्ष में चार कीटपालन फसलें, अरण्डी क्षेत्र में तीन कीटपालन फसलें तथा टसर क्षेत्र में दो कीटपालन फसलें प्रचलित है। इस उद्योग के प्रमुख क्रिया-कलाप रेशम कीटाण्ड उत्पादन, रेशम कीटपालन, कोया उत्पादन व धागाकरण है। रेशम उद्योग पर्यावरण मित्र उद्योग होने के साथ-साथ श्रमजनित भी है।

 यह उद्योग ग्रामीण बेरोजगार, नवयुवकों को ग्रामीण परिवेश में ही स्वरोजगार का अवसर सुलभ कराते हुए शहरी क्षेत्र की ओर पलायन रोकने में सहायक है। प्रदेश सरकार रेशम उत्पादन से जुड़े क्रिया-कलापों यथा पौध उत्पादन, वृक्षारोपण, कोया उत्पादन एवं धागाकरण आदि क्रिया-कलापों हेतु सहायता उपलब्ध कराकर कृषकों एवं बुनकरों को श्रृंखलाबद्ध कार्यकमों के माध्यम से बढ़ावा दे रही है।


प्रदेश की उष्ण कटिबन्धीय एवं समशीतोष्ण जलवायु में शहतूती रेशम के अतिरिक्त ट्रापिकल टसर एवं एरी रेशम उद्योग के क्रिया-कलाप सफलतापूर्वक क्रियान्वित किये जाने हेतु सभी आवश्यक सम्भावनायें उपलब्ध हैं। कीटपालकों द्वारा उत्पादित रेशम कोयों के मूल्य में वृद्धि हेतु राजकीय क्षेत्र में 7 जनपद यथा लखीमपुर खीरी, गोण्डा, 

श्रावस्ती, बलरामपुर, कुशीनगर, पीलीभीत एवं बहराइच तथा निजी क्षेत्र में जनपद गोरखपुर में एक रीलिंग इकाईयों की स्थापना की गई है। केन्द्र एवं राज्य पोषित संचालित योजनाओं से लाभ प्राप्त करने वाले लाभार्थियों के लिये पारदर्शी सुविधा उपलब्ध कराने हेतु रेशम मित्र पोर्टल पर ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा लागू की गयी जिस पर इच्छुक लाभार्थी पंजीकरण कराते हुए विभाग की योजनाओं का लाभ ले रहे हैं।

 एन०जी०ओ०. एफ०पी०ओ० समितियों एवं स्वंय सहायता समूहों को रेशम उत्पादन से जोड़ा जा रहा है।
रेशम उत्पादन के लिए जागरूकता एवं प्रशिक्षण योजनान्तर्गत प्रशिक्षणार्थियों के चयन, प्रशिक्षण तिथियां एवं प्रमाण पत्र आदि ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से करते हुए 484 लाभार्थियों को राज्यीय प्रशिक्षण अन्तर्गत मिर्जापुर में स्थापित लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल राजकीय रेशम प्रशिक्षण संस्थान, बरकछा में निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान किया गया।


महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु रेशम विभाग विभाषत एवं एस०आर०एल०एम० के अन्तर्गत 5 वर्षों में 5000 समूहों की 50000 महिलाओं को रेशम सखी के रूप में रेशम उत्पादन से जोड़ने हेतु अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एन०आर०एल०एम० एवं रेशम विभाग, उ०प्र० के मध्य एम०ओ०यू० हस्ताक्षरित हुए है।

  प्रदेश के मा० मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के कुशल मार्गदर्शन से प्रदेश में जनपद बहराइच, श्रावस्ती, लखीमपुर, सीतापुर, गोण्डा, बलरामपुर, बस्ती, महराजगंज, गोरखपुर, कुशीनगर, पीलीभीत, शाहजहांपुर, बिजनौर एवं सहारनपुर में प्रथम बार राज्य पोषित ष्मुख्यमंत्री रेशम विकास योजनाष् वर्ष 2025-26 हेतु रू0 100.00 लाख बजट की स्वीकृति की

 गयी है। प्रदेश में उत्पादित ककून को पारदर्शी तरीके से विक्रय करने हेतु sericulture-eservicesup-in पर ककून की ई-मार्केटिंग की व्यवस्था आरम्भ कर दी गयी है। रेशम उत्पादन में वर्ष 2023-24 के सापेक्ष वर्ष 2024-25 में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

प्रदेश को रेशम उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने हेतु सिल्क समग्र 2 योजनान्तर्गत शहतूती सेक्टर के दो तथा एरी सेक्टर के एक एफ०पी०ओ० के 300 किसानों को रेशम उत्पादन से जोड़ने हेतु रू0 542.312 लाख की परियोजनायें प्रारम्भ की गयी है। एग्रोफारेस्ट्री अन्तर्गत जनपद सोनभद्र में टसर रेशम उत्पादन हेतु 60 हेक्टेयर क्षे०फ० में 1.12 लाख वृक्षारोपण कराया गया।
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