साफ्टवेयर इंजीनियर से बने मत्स्य पालक, प्रदेश का नाम देश दुनियां में कर रहे रोशन

Notification

×

All labels

All Category

All labels

साफ्टवेयर इंजीनियर से बने मत्स्य पालक, प्रदेश का नाम देश दुनियां में कर रहे रोशन

Wednesday, August 6, 2025 | August 06, 2025 Last Updated 2025-08-06T14:37:51Z
    Share
साफ्टवेयर इंजीनियर से बने मत्स्य पालक, प्रदेश का नाम देश दुनियां में कर रहे रोशन
बदायूँ : 06 अगस्त। पेशे से साफ्टवेयर इंजीनियर श्री सुजीत कुमार चौधरी ने उत्तर प्रदेश सरकार की मत्स्य पालकों के लिए संचालित योजनाओं का लाभ लेकर मत्स्य पालन के क्षेत्र में आज अपने प्रदेश का नाम देश-दुनिया में रोशन कर रहे है। सुजीत ने पहली बार रायबरेली में समुद्री झींगा की खेती करके खारे पानी से ग्रसित किसानो को एक नयी राह दिखाई है। श्री सुजीत आधुनिक एवं पर्यावरण सुरक्षित ढंग से प्रति एकड़ 2-3 गुना अधिक पंगेसियस मछली का उत्पादन प्रति वर्ष 1.5-2 कल्चर (फसल) कर रहे है। 

उनको नैशनल बेस्ट फिश फार्मर (इनलैंड) का अवार्ड वर्ष 2022 में मिला है।
जनपद रायबरेली के ग्राम बावन बुजुर्ग बल्ला निवासी श्री सुजीत कुमार चौधरी ने श्री टेक (इंजीनियरिंग) 11 साल सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम किया है। इनफोसिस में डेढ़ साल और इंडस वैली पार्टनर्स में 9 साल काम किया।

 इंडस वेली पार्टनर्स में बतौर एसोसिएट डायरेक्टर रहे लगभग 6 साल अमेरिका में काम किया। वर्ष 2016 में नौकरी छोड़ अपनी पहली सॉफ्टवेयर कंपनी इरेमेडियम शुरू की जो आज एक मानी जानी कंपनी बन चुकी है और सफलतापूर्वक नोएडा से चल रही है।

सुजीत कुमार चौधरी के माता पिता वर्ष 2020 कोरोना काल में जब बीमार हुए तो इकलौते लड़के होने के नाते उन्होंने अपने माता-पिता की देख रेख करने के लिए नोएडा से लखनऊ बसने का मन बनाया। यहाँ आकर इनकी मुलाकात मुख्य कार्यकारी अधिकारी मत्स्य, 

रायबरेली से हुई। उनसे श्री सुजीत का मत्स्य पालन में हो रहे प्रगति के बारे में पता चला। मत्स्य विभाग से प्रेरणा एवं जानकारी लेते हुए इन्होंने 2020 में ही 3 छोटे तालाब और 4 बायफ्लॉक टैंक से गांव बेहटा खुर्द, रायबरेली में रहमत के साथ ही मत्स्य पालन में कदम रखा।

 सुजीत कुमार चौधरी ने तालाब के मापदण्डों को कंट्रोल करने हेतु साइंस और टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक रिमोट सेंसर का उपयोग करके ई-रिक्शा पर जिन्दा मछली विक्रय केंद्र बनाया है, जिसमे ऑक्सीजन, तापमान एवं फिल्टर की ययस्था है, इसको ये एकवा व्हील कहते हैं इससे ये जिन्दा मछलियों को सीधे उपभोगता तक पहुंचाते हैं। 

जिससे इनका मुनाफा बढ़ता है और उपभोक्ता को ताजा, स्वच्छ मछली मिलती है। अभी तक इन्होने ऐसे तीन ई-रिक्शा लांच किए है।
श्री सुजीत कुमार चौधरी 1 एकड से 2 से 3 गुना का उत्पादन प्रति वर्ष हर तालाब से पंगेसियस प्रजाति की 1.5-2 फसल लेते हैं, जिससे प्रति वर्ष 1 एकड से औसतन 20 टन उत्पादन होता है। यह अपनी सीड रेअरिंग यूनिट नर्सरी में मछली के बच्चों को 150-200 ग्राम तक बड़ा करते हैं 

और फिर उन्हें ग्रो आउट तालाब में डालते हैं ये जीरो पॉइंट कल्वर करते हैं जिसमे इनके तालाब कभी भी खाली नही रहते जितनी हार्वेस्टिंग होती है उतने मछली के बच्चे ये उसमे फिर से डालते हैं।  सुजीत के मत्स्य फार्म का कुल जमीनी क्षेत्रफलः 350$ एकड़ है। 

उनका कार्य क्षेत्रः रायबरेली, उन्नाव और प्रतापगढ़ है। औसतन उत्पादन पंगेसियस 10-12 टन प्रति एकड प्रति फसल आई एम सी 4-5 टन प्रति एकड़ प्रति वर्ष तथा झींगा त्र1.5-2 टन प्रति एकड़ प्रति फसल है।
उनकी कंपनी एक्वाक्स प्राइवेट लिमिटेड का चयन प्रतिष्ठित एग्री उड़ान 7.0 एक्सेलेरेटर प्रोग्राम के लिए किया गया है। यह प्रोग्राम नाबार्ड की सहायता से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी द्वारा चलाया जा रहा है।

 इस प्रोग्राम में देशभर से कुल 17 कृषि फर्मों का चयन किया गया है। चयनित कंपनियों को मैटरशिप, व्यापार नेटवर्किंग के अवसर और संभावित वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
श्री सुजीत कहते है कि समुद्री झींगा श्रिम्प का गत वर्ष हमारे देश से लगभग 50 हज़ार करोड़ रुपये का निर्यात/एक्सपोर्ट हुआ। यह बहुत ही लाभदायक खेती होती है जिसकी कुल अवधि 4 महीने की होती है 

अभी तक इसमें उत्तर प्रदेश की भागीदारी कम है। इसकी खेती से खारे पानी वाले खेत, जहां कोई फसल नहीं होती या कम होती है उसका सदुपयोग करके किसान अच्छा लाभकमा सकते है। रायबरेली में समुद्री झींगा की खेती के प्रति आस-पास के मत्स्य पालक भी आकर्षित हो रहे है और इसके बारे में जानकारी प्राप्त कर रहे है।

 सुजीत की यह कहानी उत्तर प्रदेश सरकार की योजनाओं की दूरदर्शिता और प्रभावशीलता है जो जमीनी स्तर पर एक युवा की सफलता को दर्शाती है। यह उदाहरण साबित करता है कि यदि युवा वर्ग दृढ निश्चय करे तो मत्स्य पालन की विभिन्न योजनाओं से जुड़कर आत्मनिर्भर बन सकता है। और प्रदेश के आर्थिक विभाग में सहभागी भी बन सकते है।
--------
CLOSE ADS
CLOSE ADS
close