डॉक्टरों की कुर्सी खाली... महिला अस्पताल में फर्श पर तीन घंटे तक तड़पती रही गर्भवती

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डॉक्टरों की कुर्सी खाली... महिला अस्पताल में फर्श पर तीन घंटे तक तड़पती रही गर्भवती

Friday, July 5, 2024 | July 05, 2024 Last Updated 2024-07-06T05:21:27Z
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डॉक्टरों की कुर्सी खाली... महिला अस्पताल में फर्श पर तीन घंटे तक तड़पती रही गर्भवती

संवाददाता सुमित कुमार 

बदायूं। महिला अस्पताल की ओपीडी में शुक्रवार को एक बजे तक एक भी डॉक्टर नहीं थीं। इंतजार में गर्भवती की हालत बिगड़ गई। साथ आए पति ने हालत बिगड़ते देख फर्श पर ही लिटा दिया। वह फर्श पर तीन घंटे तक तड़पती रहीं और लोग तमाशबीन बने रहे।
 मरीजों के हंगामे के बाद करीब 1.10 बजे पहुंचे सीएमएस डॉ. इंदुकांत वर्मा ने फोन कॉल कर एक डॉक्टर को बुलाया। चार महिला डॉक्टरों की ड्यूटी ओपीडी में थी, लेकिन करीब 1.20 बजे एक डॉक्टर पहुंची तब मरीजों का उपचार शुरू हुआ। करीब 50 से अधिक महिलाएं बिना दवा लिए ही अस्पताल के डॉक्टरों को कोसते हुए चलीं गईं।

ओपीडी में रोस्टर के हिसाब से डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई जाती है। समय सुबह आठ से दो बजे तक मरीजों को देखकर दवा देने का है। शुक्रवार को इमरजेंसी में डॉ. प्रियंका यादव की ड्यूटी थी। ओपीडी कक्ष नंबर तीन में आकांक्षा यादव तथा चार में डॉ. रुचि गुप्ता, डॉ. राविया को मरीज देखने थे।

 डॉ. नाजिया अख्तर अवकाश पर थीं। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सुकुमार अग्रवाल और डॉ. संदीप अपनी ओपीडी में बच्चों को देख रहे थे। मरीजों को पांच घंटे तक महिला डॉक्टरों का इंतजार करना पड़ा। महिला अस्पताल के सीएमएस का न तो डॉक्टरों को खौफ है और ही कर्मचारियों को है। यही कारण है कि हर रोज महिला अस्पताल में हंगामा होता है।


गर्भवती जेवर कली के पति ने बताया कि वह दस बजे अस्पताल पत्नी को लेकर पहुंचे थे। महिला डॉक्टर की दोनों ओपीडी देखी लेकिन डॉक्टर नहीं थीं। उनकी पत्नी गर्भवती है और उनके पेट में तेज से दर्द हो रहा था।

इंतजार करते-करते हालत बिगड़ गई। तीन घंटे फर्श पर ही तड़पकर इंतजार किया तब कहीं जाकर एक डॉक्टर पहुंची तो दवा मिल सकी। अस्पताल का बुरा हाल है। डॉक्टरों की लापरवाही से किसी की भी जान जा सकती है।

उसावां क्षेत्र के गांव लोहाठेर से दवा लेने आई महिला ने बताया कि दस बजे अस्पताल आ गई थी और पर्चा बनवाने के बाद से ओपीडी के सामने कतार में बैठे हैं। एक बज गया कोई डॉक्टर नहीं है किसको दिखाकर दवा लें। यहां तो कोई सुनने वाला भी नहीं है। - मीरजहां बेगम


दातागंज क्षेत्र के गांव अंधरऊ से दवा लेने आई हूं। मरीजों का हाल बेहाल हो रहा है। भइया यहां नौ बजे आ गई हूं, चाहे कोई मरे या जिए यहां किसी पर कोई फर्क नहीं पड़ता। दस बजे से महिला फर्श पर पड़ी तड़प रही है, लेकिन डॉक्टर नहीं आए हैं। -भानवती देवी


डॉ. आकांक्षा यादव 10.15 बजे ओपीडी पहुंच गईं थी। इसके बाद मरीजों को देखा है। कुछ समय के लिए वह ओपीडी से किसी काम से चली गईं थीं।

 अन्य तीन डॉक्टरों से गायब होने का कारण पूछा गया है। जवाब आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। -डॉ. इंदुकांत वर्मा, सीएमएस, महिला अस्पताल
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