सरकारी गोदाम पर किसानों को लौटाया बैरंग व्यापारियों को लदवा दी डीएपी खाद की ट्राली कालाबाजारी चरम पर.
वजीरगंज किसान तो पहले से ही कुदरत की मार से परेशान है बरसात न होने की बजह से इन दिनों खेतों में खड़ी फसल लगभग सूखे की ओर हैं जिससे किसान पूरी तरह बदहाल हो चुका है
बाबजूद इसके वो अगली फसल लाहा को बोने की तैयारी कर रहा है ऐसे में सरकारी गोदाम पर तैनात सचिब अपने बड़पेटे व्यापारियों को डीएपी देकर बड़ी कालाबाजारी करने से बाज नही आ रहे ।
छोटे किसानों को वहां से बैरंग लौटाया जा रहा है किसी भी प्रशासनिक अधिकारी का ध्यान इस ओर नही है। क्या छोटा या सीमांत किसान होना अपराध है या दुर्भाग्य है
जो एक तो वह पहले ही कुदरत की मार को झेल रहा है बाकी की पूरी कसर ये गोदाम वाले समय पर खाद न देकर उनकी मेहनत को जमींदोज कर रहे हैं। आखिर इस कालाबाजारी पर रोक क्यों नहीं या तो व्यापारी से उसकी सांठगांठ हो जाती है
या फिर चहेतों को खाद देकर पैसों का भंडारण हो रहा है। जी हां हम बात कर रहे है सहकारी क्रय विक्रय समिति वजीरगंज की यहां छोटे किसानों को इस कदर परेशान किया जा रहा है खाद देने के नाम पर उनको गुमराह किया जा रहा है क्योंकि डीएपी तो आती है लेकिन वो किसानों को नही व्यापारी वर्ग को ताकि वो ओवररेट पर उसको बेचकर किसानों को खरीदने पर मजबूर कर दें ।
व्यापारियों की ट्रालियां लाद दी जाती हैं मगर छोटे किसानों को वापस भेज दिया जाता है। मजबूरन किसान को महंगी डीएपी खरीदनी पड़ती है क्योंकि उसको तो खेत मे लगाना है चाहे उसके घर की दाल रोटी बने या न बने चाहे वो कर्जदार बन जाये आये दिनों यही समस्या रही तो किसान आत्मदाह करने को विवश हो जाएगा।
बात वजीरगंज गोदाम की ही नही जिले की हर सहकारी समिति की लगभग यही दशा है व्यापारी वर्ग बड़े मुनाफे की ओर है और किसान विवशता की ओर जा रहा है । कृषि प्रधान देश की क्या दशा बना दी इन क्रूर लोगों ने । देखना है
कि आखिर प्रशासन किसानों की फरियाद को सुनता है अथवा ऐसे ही चलता रहे
संवाददाता अनुभव शंखधार