देवोत्थान पर श्रीहरि की पूजा कर श्रद्धालुओं ने मांगी खुशहाली
बगरैन।बदायूं। जिले में उत्साहपूर्वक देवोत्थान एकादशी मनाई गई। इसे देव दिवाली भी कहते हैं। इस दिन भगवान विष्णु अपनी योग निद्रा से जागते हैं। श्रीहरि के योग निद्रा से जागते ही मांगलिक भी कार्य शुरू हो गए हैं।देवोत्थान एकादशी मंगलवार को मनाई गई।
भक्तों ने भागीरथी गंगा घाट पहुंचकर स्नान किया। श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान करने के बाद ब्राह्मणों को दान दक्षिणा दी। गंगा घाटों पर भोर से ही हर-हर महादेव और गंगा मैया के जयकारे की गूंज होती रही। भक्तों ने गन्ना, सिंघाड़ा, चने के साग आदि से भोगलगाया और सालिगराम की मूर्ति की विधि विधान से पूजा की।
श्रद्धालुओं ने ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप कर भगवान विष्णु को प्रसन्न किया। भक्तों ने सोमवार और मंगलवार को चावल खाने से परहेज किया और एकादशी का व्रत रखा।बड़ा महत्व है एकादशी व्रत का साल में 24 एकादशी के व्रत रखे जाते हैं,
सभी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित हैं। इस दिन उनकी पूजा-अर्चना करने से मन और इंद्रियों पर नियंत्रण मिलता है। साथ ही साधक की आध्यात्मिक प्रगति होती है। मान्यता है कि एकादशी तिथि पर व्रत रखने से सभी पापों का नाश और पुण्य फलों की प्राप्ति होती हैं।
हालांकि इन सभी में कार्तिक माह में आने वाली देवउठनी एकादशी को सबसे खास और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु चार माह की लंबी योग निद्रा से जागते हैं और फिर से सृष्टि का कार्यभार संभालते हैं।
इसे देवोत्थान के नाम से भी जाना जाता है।पीले वस्त्र धारण कर होती है उपासना
एकादशी को भगवान विष्णु की पूजा होती है। यह पूजा पीले वस्त्र धारण करने के बाद की जाती है, जो शुभ लाभप्रद होती है। भगवान विष्णु के भक्त हर माह में दो बार एकादशी का व्रत रखते हैं।