रामपुर।अखिल भारतीय मुस्लिम महासंघ के अध्यक्ष फरहत अली खान ने कहा *बेगुनाहों की हत्याएं करने वाले का नाम और पहचान भला ही इस्लामिक हो मगर वह मोहम्मद के उम्मति नहीं हो सकता*
फरहत अली खान ने कहा कि
ऐसे मुस्लमान यजीदी हो सकते हैं हुसैनी नहीं*। ऐसे ही यजीदी मुसलमानों ने अहलेबेत को भी शहीद किया था करबला इसका उदाहरण है जिसे आज भी याद किया जाता है।
सिडनी में यहूदी धार्मिक हनुक्का त्यौहार में क़त्लोआम इंसानियत का क़त्ल है।
हम अहले किताब हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम के मानने वालों के साथ हैं।
यजीदी आतंकवाद के नहीं ,हम इसकी घोर निन्दा और दुख के साथ साथ उनके लिए जन्नत में अल्लाह जगह दे दुआ करते हैं।
इस्लाम मुहब्बत अमन और इंसानियत का पैग़ाम देता है कत्लो गारत का नहीं।
अब मुसलमानों को एक जुट होकर इन्सानियत के कातिलों का विरोध करना ही पड़ेगा, वरना बदनामी का तौक़ हमेशा कचोकता रहेगा।